महाकाल लोक विशेष : रीवा में हैं दुनिया के इकलौते सहस्त्र नेत्रों वाले महामृत्युंजय, बनाते हैं बिगड़े काम

गुड मॉर्निंग, रीवा। Good Morning Rewa : मध्य प्रदेश के रीवा में सहस्त्र नेत्रों वाले विश्व के इकलौते महामृत्युंजय ( Mahamrityunjay ) हैं। The only Mahamrityunjay in the world with a thousand eyes is seated in Rewa, Madhya Pradesh. रीवा किला ( The Rewa Fort ) परिसर स्थित तकरीबन 500 साल पुराने महामृत्युंजय मंदिर (
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महाकाल लोक विशेष : रीवा में हैं दुनिया के इकलौते सहस्त्र नेत्रों वाले महामृत्युंजय, बनाते हैं बिगड़े काम

गुड मॉर्निंग, रीवा।

Good Morning Rewa : मध्य प्रदेश के रीवा में सहस्त्र नेत्रों वाले विश्व के इकलौते महामृत्युंजय ( Mahamrityunjay )  हैं। The only Mahamrityunjay in the world with a thousand eyes is seated in Rewa, Madhya Pradesh. रीवा किला ( The Rewa Fort )  परिसर स्थित तकरीबन 500 साल पुराने महामृत्युंजय मंदिर ( Mahamrityunjay Temple Rewa )  में स्वयं भू महामृत्युंजय विराजते हैं। यह मंदिर शायद दुनिया का इकलौता मंदिर है जहां 1001 छिद्र वाला शिवलिंग है जो अलौकिक शक्ति देने वाला है।

महाकाल लोक विशेष : रीवा में हैं दुनिया के इकलौते सहस्त्र नेत्रों वाले महामृत्युंजय, बनाते हैं बिगड़े काम
आयु बढ़ाता है महामृत्युंजय मंत्र
रीवा किला ( The Rewa Fort ) परिसर के महामृत्युंजय मंदिर ( Mahamrityunjay Temple Rewa ) में विराजने वाले शिवलिंग की बनावट बिलकुल भिन्न है। इस तरह का शिवलिंग विश्व में अन्यत्र नहीं है। महामृत्युंजय के सहस्त्र नेत्र हैं। अल्प आयु को दीर्घ आयु में बदलने वाला महामृत्युंजय मंत्र एक मात्र मंत्र है। महामृत्युंजय मंदिर ( Mahamrityunjay Temple Rewa ) में भगवान शिव के दर्शन से असाध्य रोगों से छुटकारा मिलता है।

महाराज ब्याघ्रदेव  ने बनवाया था मंदिर
ऐसा माना जाता है कि लगभग 500 वर्ष पहले बघेल रियासत के महाराज ने यहां पर महामृत्युजंय की अलौकिक शक्ति को भाप लिया था और फिर यहां पर मंदिर की स्थापना के साथ ही रियासत ( Rewa Riyasat ) के किले की स्थापना करवाई। रियासत के महाराज ब्याघ्रदेव सिंह शिकार के दौरान पडाव पर थे उसी रात महाराज ने एक चमत्कार देखा। मंदिर परिसर के पास एक शेर चीतल को दौडा रहा था लेकिन चीतल जब टीले के पास पहुंचा तो शेर शांत हो गया। उसी वक्त महाराज ने यहां विद्यमान शक्ति को समझा और मंदिर की स्थापना कर किले का निर्माण कराया।

महाकाल लोक विशेष : रीवा में हैं दुनिया के इकलौते सहस्त्र नेत्रों वाले महामृत्युंजय, बनाते हैं बिगड़े काम
ऐसी भी है एक किवदंती
एक किवदंती यह भी है कि अनादिकाल में दधीचि ऋषि नें शिव की आराधना की और प्रसन्न होने पर महामृत्युजंय ( Mahamrityunjay ) कि स्थापना यहां पर की। जब से यहां महामृत्युजंय ( Mahamrityunjay ) की अद्भुद प्रतिमा मौजूद है। इसके अलावा ऐसा भी माना जाता है कि कई वर्ष पहले यहां से साधू संतो और भांट यह प्रतिमा लेकर गुजर रहे थे रात्रि विश्राम के दौरान शिव ने महामृत्युंजय ( Mahamrityunjay ) की प्रतिमा को यहां छोडकर जाने का स्वप्न दिया। उसके बाद यह प्रतिमा छोडकर साधू संत यहां से चले गये।

दूर-दूर से आते हैं श्रद्धालु
भगवान महामृत्युजंय के जाप से सर्व मनोकामना पूरी होती है इसी मान्यता के चलते श्रद्धालु दूर-दूर से महामृत्युंजय ( Mahamrityunjay ) के दर्शन के लिए आते है। एकदशी तेरस, महाशिवरात्रि और बंसत पंचमी को भक्तो का सौलब उमडता है। दिनभर भक्त महामृत्युजयं ( Mahamrityunjay )  के दर्शन के साथ ही जलाभिषेक, जाप और हवन करते है। लेकिन हर रोज श्रद्धालु दिन की शुरूआत महामृत्युजयं ( Mahamrityunjay ) के आर्शिवाद लेने जरूर आते है।

ऐसी है महिमा
महामृत्युजय ( Mahamrityunjay ) की कृपा से भक्तो की अकाल मृत्यु टल जाती है, मृत्युभय नही रहता और बिगडे काम बन जाते है। इसके कई उदाहरण यहां देने को मिलते है। कोई लम्बी बीमारी से छुटकारा पाने के लिए महामृत्युजंय की चौखट मे आता है तो कोई मृत्युभय से। ऐसी महिमा है भगवान महामृत्युंजय ( Mahamrityunjay ) की।